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September 2020

एम० के० मधु की रचनाएँ

मरहम तुम छूते हो दुखता है लगाते हो जब मरहम घाव पर मेरे मुझे तुम्हारी पहचान नहीं पर मेरे घावों को तुम्हारी उँगलियों की पहचान… Read More »एम० के० मधु की रचनाएँ

एन. सिंह की रचनाएँ

ये वही हैं समरसता की रामनामी ओढ़कर वे फिर आ गये हैं अब तुम्हें ही तय करना है कि ये मनुवादी समरसता कहाँ ले जाएगी… Read More »एन. सिंह की रचनाएँ

एन. मनोहर प्रसाद की रचनाएँ

कौन है दलित कौन है दलित? हम में से हर कोई— कहाँ थे हम आज तक? कुचले जाते रहे हैं हम— दूसरे जमात के पाँव-तले… Read More »एन. मनोहर प्रसाद की रचनाएँ

एन. आर. सागर की रचनाएँ

तब तुम्हें कैसा लगेगा? यदि तुम्हें ज्ञान के आलोक से दूर अनपढ़-मूर्ख बनाकर रखा जाए, धन-सम्पति से कर दिया जाए- वंचित छीन लिए जाएँ अस्त्र-शस्त्र… Read More »एन. आर. सागर की रचनाएँ

एजाज़ फारूक़ी की रचनाएँ

आहया असा-ए-मूसा अँधेरी रातों की एक तज्सीम मुंजमिद जिस में हाल इक नुक़्ता-ए-सुकूनी न कोई हरकत न कोई रफ़्तार जब आसमानों से आग बरसी तो… Read More »एजाज़ फारूक़ी की रचनाएँ

एकांत श्रीवास्तव की रचनाएँ

सेल्युलर जेल सेल्युलर जेल के गलियारों में घूमते हुए, तेरह बाइ सात की काल कोठरियों में साँस लेते हुए मैं वही नहीं रह गया था;… Read More »एकांत श्रीवास्तव की रचनाएँ

ऋषिवंश की रचनाएँ

फ़सलें  दाने तो इच्छा के बोए थे ज़हरीली फ़सलें क्यों उग आईं पढ़े-लिखे लोगों ने सोचा था ख़ुशहाली इस रस्ते आएगी नई रोशनी में यह… Read More »ऋषिवंश की रचनाएँ

ऋषिपाल धीमान ऋषि की रचनाएँ

तुमने छुआ था मेरा जब हाथ चुपके-चुपके तुमने छुआ था मेरा जब हाथ चुपके-चुपके कितने मचल उठे थे जज्बात चुपके-चुपके। बिखरे हुए हैं ख़्वाबों के… Read More »ऋषिपाल धीमान ऋषि की रचनाएँ

ऋषभ देव शर्मा की रचनाएँ

अश्लील है तुम्हारा पौरुष पहले वे लंबे चोगों पर सफ़ेद गोल टोपी पहनकर आए थे और मेरे चेहरे पर तेजाब फेंककर मुझे बुरके में बाँधकर… Read More »ऋषभ देव शर्मा की रचनाएँ

ऋतुराज की रचनाएँ

कभी इतनी धनवान मत बनना कभी इतनी धनवान मत बनना कि लूट ली जाओ सस्ते स्कर्ट की प्रकट भव्यता के कारण हांग्जो की गुड़िया के… Read More »ऋतुराज की रचनाएँ