Skip to content

महावीर उत्तरांचली की रचनाएँ

पाँव पाँव थककर भी चलना नहीं छोड़ते जब तक वे गंतव्य तक न पहुँच जाएँ… थक जाने पर कुछ देर राह में विश्राम कर पुन:… Read More »महावीर उत्तरांचली की रचनाएँ

महाराज सिंह परिहार की रचनाएँ

अधूरी आज़ादी… आज़ादी है अभी अधूरी पाए न जनता रोटी पूरी तंत्र लोक से दूर हुआ है अवमूल्यन भरपूर हुआ है आज देश टुकड़ों में… Read More »महाराज सिंह परिहार की रचनाएँ

महाराज बहादुर `बर्क़’की रचनाएँ

तेग़े-हिन्दी तेग़े-हिन्दी[1] साफ़ करती सफ़े-दुश्मन [2]तू जिधर चलती है हाथ बाँधे तेरे साये में ज़फ़र [3]चलती है * * तुझ में वोह आब है शेरों का जिगर… Read More »महाराज बहादुर `बर्क़’की रचनाएँ

महाराज कृष्ण सन्तोषी की रचनाएँ

व्यथा अभी भी ज़िन्दा है मेरे भीतर गुरिल्ला छापामार बेहतर दुनिया के लिए लड़ने को तैयार पर एक कायर से उसकी दोस्ती है जो उसे… Read More »महाराज कृष्ण सन्तोषी की रचनाएँ

महामति की रचनाएँ

किरंतन मैं तो बिगडया विस्वथें बिछुडया, बाबा मेरे ढिग आओ मत कोई। बेर-बेर बरजत हों रे बाबा, ना तो हम ज्यों बिगडेगा सोई॥ मैं लाज… Read More »महामति की रचनाएँ

‘महशर’ इनायती की रचनाएँ

आँख में आँसू गुम औसान आँख में आँसू गुम औसान इश्‍क़़ के मारो की पहचान इक अपने चुप रहने से सारी नगरी क्यूँ सुनसान ऐ… Read More »‘महशर’ इनायती की रचनाएँ

मल्लिका मुखर्जी की रचनाएँ

माँ धूप कड़ी सहकर भी माँ तुम, कभी न हारी यौवन में, धरम तुम्हारा खूब निभाया, तुमने अपने जीवन में ! सहम रही ममता पलकों में,… Read More »मल्लिका मुखर्जी की रचनाएँ

मलूकदास की रचनाएँ

हरि समान दाता कोउ नाहीं हरि समान दाता कोउ नाहीं। सदा बिराजैं संतनमाहीं॥१॥ नाम बिसंभर बिस्व जिआवैं। साँझ बिहान रिजिक पहुँचावैं॥२॥ देइ अनेकन मुखपर ऐने।… Read More »मलूकदास की रचनाएँ

मलिकज़ादा ‘मंजूर’की रचनाएँ

अब ख़ून को मय क़ल्ब को पैमाना कहा जाए अब ख़ून को मय क़ल्ब को पैमाना कहा जाए इस दौर में मक़तल को भी मय-ख़ाना… Read More »मलिकज़ादा ‘मंजूर’की रचनाएँ