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विष्णु प्रभाकर की रचनाएँ

प्रिय आत्मन धम-धमाधम, धम-धमाधम, धम-धमाधम लो आ गया एक और नया वर्ष ढोल बजाता, रक्त बहाता हिंसक भेड़ियों के साथ ये वे ही भेड़िए हैं… Read More »विष्णु प्रभाकर की रचनाएँ

विष्णु नागर की रचनाएँ

चिड़िया चिड़िया मैं फिर कहता हूँ कि चिड़िया अपने घोंसले से बड़ी है घोंसले से बड़ी चिड़िया का अपना कोई मोह नहीं होता वह दूसरों… Read More »विष्णु नागर की रचनाएँ

विष्णु खरे की रचनाएँ

वापस सफेद मूँछें सिर पर उतने ही सफेद छोटे-छोटे बाल बूढ़े दुबले झुर्रीदार बदन पर मैली धोती और बनियान चेहरा बिल्कुल वैसा जैसा अस्सी प्रतिशत… Read More »विष्णु खरे की रचनाएँ

विष्णु खन्ना की रचनाएँ

बंदर का दरबार बंदर राजा पान चबाए बैठे हैं दरबार लगाए। नीला सूट, बूट है काला, सर पर पहने हैट निराला, रेशम का रूमाल हाथ… Read More »विष्णु खन्ना की रचनाएँ

विश्वासी एक्का की रचनाएँ

सतपुड़ा एक मेरे भीतर उग आए सूने जँगल से सतपुड़ा का जँगल अलग था चिल्पी की वादियों में बैगा स्त्रियों की आँखों से झाँक रहा… Read More »विश्वासी एक्का की रचनाएँ

विश्वरंजन की रचनाएँ

रात की बात बहुत अंदर छुपा पड़ा हादसों का आंतक एक जादू-सा जग पड़ता है सहसा और रात की परछाईयों के साथ करता है नृत्य… Read More »विश्वरंजन की रचनाएँ

विश्वप्रकाश ‘कुसुम’ की रचनाएँ

आलू-गोभी! दावत ने है मन ललचाया! क्या लोगे तुम आलू-गोभी? क्या खाओगे आलू-गोभी? गोभी का है स्वाद बढ़ाया! सबकी यही पुकार-आलू-गोभी सब करते तकरार-आलू-गोभी! जैसी… Read More »विश्वप्रकाश ‘कुसुम’ की रचनाएँ

विश्वनाथप्रसाद तिवारी की रचनाएँ

मनुष्यता का दुःख  पहली बार नहीं देखा था इसे बुद्ध ने इसकी कथा अनन्त है कोई नहीं कह सका इसे पूरी तरह कोई नहीं लिख… Read More »विश्वनाथप्रसाद तिवारी की रचनाएँ

विश्वनाथ शर्मा की रचनाएँ

वंदे मातरम् क़ौम के ख़ादिम की है जागीर वंदे मातरम्, मुल्क के है वास्ते अकसीर वंदे मातरम्। ज़ालिमों को है उधर बंदूक अपनी पर ग़रूर,… Read More »विश्वनाथ शर्मा की रचनाएँ

विश्वनाथ प्रताप सिंह की रचनाएँ

मुफ़लिस  मुफ़लिस से अब चोर बन रहा हूँ मैं पर इस भरे बाज़ार से चुराऊँ क्या यहाँ वही चीजें सजी हैं जिन्हे लुटाकर मैं मुफ़लिस… Read More »विश्वनाथ प्रताप सिंह की रचनाएँ