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विशाखा विधु

विशाखा विधु की रचनाएँ

तेरी बस्ती का मंज़र देखती हूँ  तेरी बस्ती का मंजर देखती हूँ तबाही आज घर-घर देखती हूँ। बज़ाहिर मोम का पैकर है लेकिन वो अंदर… Read More »विशाखा विधु की रचनाएँ