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बोधिसत्व की रचनाएँ

कुछ भी मारो, बस, आँख मत मारो (मर्यादावादियों के लिए एक नया राष्ट्रगान) गोरक्षक बन कर मारो गोमाँस के नाम पर मारो काश्मीर में सरकार… Read More »बोधिसत्व की रचनाएँ

बैरीसाल की रचनाएँ

दोहे  ऐसे ही इन कमल कुल, जीत लियो निज रंग। कहा करन चाहत चरन, लहि अब जावक संग॥ लसत लाल डोरेऽरु सित, चखन पूतरी स्याम।… Read More »बैरीसाल की रचनाएँ

बेहज़ाद लखनवी की रचनाएँ

ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए मंज़िल के लिए दो-गाम चलूँ… Read More »बेहज़ाद लखनवी की रचनाएँ

बेनीमाधव शर्मा की रचनाएँ

मैं बापू कहलाऊँगा  अम्माँ टूटे दाँतों वाला, लंबी-लंबी बाहों वाला- मुझे बता दो अरे, कौन यह, लाठी लेकर चलने वाला! बेटा यह जो पहन लँगोटी… Read More »बेनीमाधव शर्मा की रचनाएँ

बेनी की रचनाएँ

हाव भाव विविध दिखावै भली भाँतिन सों हाव भाव विविध दिखावै भली भाँतिन सों, मिलत न रतिदान जोग सँग जामिनी। सुबरन भूषन सँवारे ते विफल… Read More »बेनी की रचनाएँ

बेढब बनारसी की रचनाएँ

अछूत (पैरोडी) गाटर ज्यों खंभ पर, तांगा जिमि रंभ पर, अनल का अम्भ पर, होता जिमि राज है काँटा जिमि राह पर,चन्दा तनखाह पर, केसर… Read More »बेढब बनारसी की रचनाएँ

बेगम लखनवी की रचनाएँ

बरसों ग़म-ए-गेसू में गिरफ़्तार तो रक्खा बरसों ग़म-ए-गेसू में गिरफ़्तार तो रक्खा अब कहते हो क तुम ने मुझे मार तो रक्खा कुछ बे-अदबी और… Read More »बेगम लखनवी की रचनाएँ

बेगम रज़िया हलीम जंग की रचनाएँ

आरजूएँ जाग उठीं बे-ताब है बज़्म-ए-ख़याल आरजूएँ जाग उठीं बे-ताब है बज़्म-ए-ख़याल क्या कहूँ मैं क्या दिगर-गूँ हो गया है दिल का हाल ऐ सनम… Read More »बेगम रज़िया हलीम जंग की रचनाएँ

‘बेख़ुद’ देहलवी की रचनाएँ

आप हैं बे-गुनाह क्या कहना आप हैं बे-गुनाह क्या कहना क्या सफ़ाई है वाह क्या कहना उस से हाल-ए-तबाह क्या कहना जो कहे सुन के… Read More »‘बेख़ुद’ देहलवी की रचनाएँ