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शैलेन्द्र शान्त की रचनाएँ

कि जैसे हो महाराजे ई ससुरी रोटी-दाल तेल तरकारी चीनी चावल, रोज़ी निकली खोटी भक्ति के आगे दुम दबा कर विकास है भागे भई वाह !… Read More »शैलेन्द्र शान्त की रचनाएँ

शैलेन्द्र शर्मा की रचनाएँ

सावन के झूले यादों में शेष रहे सावन के झूले गाँव-गाँव फैल गई शहरों की धूल छुईमुई पुरवा पर हँसते बबूल रह-रहके सूरज तरेरता है… Read More »शैलेन्द्र शर्मा की रचनाएँ

किशन सरोज की रचनाएँ

गीत कवि की व्यथा १ ओ लेखनी विश्राम कर अब और यात्रायें नहीं मंगल कलश पर काव्य के अब शब्द के स्वस्तिक न रच अक्षम… Read More »किशन सरोज की रचनाएँ

शैलेन्द्र चौहान की रचनाएँ

पेड़ होने का मतलब समझते हैं लोग क्या पेड़ से होने से,उसके न होने से पेड़ का मतलब छाया, हवा,लकड़ी, हरियाली पेड़ जब सनसनाते सन्नाटे… Read More »शैलेन्द्र चौहान की रचनाएँ

किशन कारीगर की रचनाएँ

बूढा बरगद का पेड़ बोला मेरी ही टहनियों को काटकर छाँव की तलाश में भटक रहे लोग कराहते हुए कहीं यहीं पर जैसे बूढा बरगद… Read More »किशन कारीगर की रचनाएँ

किरण मिश्रा की रचनाएँ

मेरा बचपन  जहाँ खेतो में उगते है गीत साँझा चूल्हे में पकते है गीत वही कहीं किसी गीत के साथ देखना पेड़ पर पहन कर… Read More »किरण मिश्रा की रचनाएँ

किरण मल्होत्रा की रचनाएँ

विविधता पौधों की तरह लोगों की भी कई किस्में हैं कई नस्लें हैं कुछ लोग गुलाब की तरह सदा मुस्कुराते हुए कुछ रजनीगंधा की तरह… Read More »किरण मल्होत्रा की रचनाएँ

किरण अग्रवाल की रचनाएँ

रोबोट  और एक दिन नींद खुलेगी हमारी और हम पाएँगे कि आसमान नहीं है हमारे सिर के ऊपर कि प्रयोगशालाओं के भीतर से निकलता है… Read More »किरण अग्रवाल की रचनाएँ

कालीदास की रचनाएँ

रति रैन विषै जे रहे हैँ पति सनमुख रति रैन विषै जे रहे हैँ पति सनमुख, तिन्हैँ बकसीस बकसी है मैँ बिहँसि कै। करन को… Read More »कालीदास की रचनाएँ

कामी शाह की रचनाएँ

अगर कार-ए-मोहब्बत में मोहब्बत रास आ जाती  अगर कार-ए-मोहब्बत में मोहब्बत रास आ जाती तुम्हारा हिज्र अच्छा था जो वसलत रास आ जाती गला फाड़ा… Read More »कामी शाह की रचनाएँ