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क़लंदर बख़्श ‘ज़ुरअत’ की रचनाएँ

गम रो रो के कहता हूँ कुछ उस से अगर अपना गम रो रो के कहता हूँ कुछ उस से अगर अपना तो हँस के… Read More »क़लंदर बख़्श ‘ज़ुरअत’ की रचनाएँ

कर्णसिंह चौहान की रचनाएँ

बल्गारियन लोकगीत को सुनकर  धरती के पाँच सौ वर्ष नीचे से गर्म झरने-सी फूटकर आ रही है यह आवाज़ । कुस्तेंदिल की प्रत्यंचा का तीर… Read More »कर्णसिंह चौहान की रचनाएँ

कर्मानंद आर्य की रचनाएँ

श्मशान बाजार  कोई न कोई खरीद रहा होगा कोई न कोई बेच रहा होगा किसी हरवाहे की मूंठ कहीं न कहीं जल रही होगी सखुए… Read More »कर्मानंद आर्य की रचनाएँ

कर्नल तिलक राज की रचनाएँ

ज़िन्दगी इक किताब है यारो ज़िंदगी इक किताब है यारो हर वरक़ लाजवाब है यारो। पढ़ सको तो पढ़ो मुहब्बत से दिल की उम्दा किताब… Read More »कर्नल तिलक राज की रचनाएँ

कमलेश्वर साहू की रचनाएँ

समाचार वाचिकाएं  खबरों के बाजार में लगभग उत्पाद के समान मौजूद होती हैं वे उनके हिस्से का दुख व अंधेरा दिखाई नहीं देता हमें वे… Read More »कमलेश्वर साहू की रचनाएँ

कमलेश की रचनाएँ

यह कविता नहीं है  एक जंगल के रास्ते पर मैली पगड़ी बाँधे चार काले चेहरे एक बच्चा सात-आठ साल का पीछे-पीछे लाल-लाल गर्द अपने चेहरे… Read More »कमलेश की रचनाएँ

कमलेश भट्ट ‘कमल’ की रचनाएँ

हाइकु कौन मानेगासबसे कठिन हैसरल होना। प्रीति, हाँ प्रीतिदुनिया में सुख कीएक ही रीति । आप से मिलेतो लगा क्या मिलनाकिसी और से ! ढूँढ़ता रहाखुद… Read More »कमलेश भट्ट ‘कमल’ की रचनाएँ

कमलेश द्विवेदी की रचनाएँ

तेरे द्वारे बैठे हैं  दिल वालों की बस्ती में दिल के मारे बैठे हैं हमने सबका दिल जीता अपना हारे बैठे हैं होगी रात अमावस… Read More »कमलेश द्विवेदी की रचनाएँ

कमलानंद सिंह ‘साहित्य सरोज’ की रचनाएँ

गणपति स्तुति  जय जय विध्न हरन गननायक गिरजा नन्दन शुभ वरदायक सुरनर मुनि सों पुजित प्रथमहि सुभस सुभग के तुम अभिधायक। सकल कलेश विनास करन… Read More »कमलानंद सिंह ‘साहित्य सरोज’ की रचनाएँ

कमला चौधरी की रचनाएँ

मैं गाँधी बन जाऊँ माँ, खादी का कुर्ता दे दे, मैं गाँधी बन जाऊँ, सब मित्रों के बीच बैठ फिर रघुपति राघव गाऊँ! निकर नहीं… Read More »कमला चौधरी की रचनाएँ