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रीतिकाल

गँग की रचनाएँ

फूट गये हीरा की बिकानी कनी हाट हाट फूट गये हीरा की बिकानी कनी हाट हाट, काहू घाट मोल काहू बाढ़ मोल को लयो। टूट… Read More »गँग की रचनाएँ

केशव की रचनाएँ

एक भूत में होत, भूत भज पंचभूत भ्रम एक भूत में होत, भूत भज पंचभूत भ्रम। अनिल-अंबु-आकास, अवनि ह्वै जाति आगि सम॥ पंथ थकित मद… Read More »केशव की रचनाएँ

अर्जुन देव की रचनाएँ

तू मेरा सखा तू ही मेरा मीतु / तू मेरा सखा तू ही मेरा मीतु, तू मेरा प्रीतम तुम सँगि हीतु॥ तू मेरा पति तू… Read More »अर्जुन देव की रचनाएँ