Skip to content

Komal Rajeshwari

राजकुमार ‘रंजन’की रचनाएँ

संघर्षों में जो जीते हैं संघर्षों में जो जीते हैं उनका मूल्य अधिक होता है घर में बैठ चुहलबाजी से जीवन नहीं जिया करता है… Read More »राजकुमार ‘रंजन’की रचनाएँ

राजकुमार कुंभज की रचनाएँ

अभिभूति स्कूली दिनों में स्कूल नहीं गया दफ़्तरी दिनों में कभी भी गया नहीं दफ़्तर घंटाघर के पीछे आँखमिचौली करते हुए खेलता रहा कंचे या… Read More »राजकुमार कुंभज की रचनाएँ

राजकिशोर सिंह की रचनाएँ

एक कप चाय  एक कप चाय दूध चीनी का केवल घोल नहीं प्रेम का उपहार है अतिथियों का स्वागत आगंतुकों का सत्कार है एक कप… Read More »राजकिशोर सिंह की रचनाएँ

राजकिशोर राजन की रचनाएँ

इमरती गली कहने भर को पटना शहर में पर सैकड़ों साल से वहीं का वहीं जैसे कहीं पड़ा हो पहाड़, खड़ा हो बूढ़ा पेड़ बबलू… Read More »राजकिशोर राजन की रचनाएँ

राजकमल चौधरी की रचनाएँ

हाथ अमृता शेरगिल के लिए वक़्त के ताबूत में सिमट नहीं पाते हैं गर्म उसके सफ़ेद हाथ । लाल फूलों से ढका पड़ा रहता है… Read More »राजकमल चौधरी की रचनाएँ

राज नारायन ‘राज़’ की रचनाएँ

अशआर रंग रूप से महरूम क्या हुए ‎ अशआर रंग रूप से महरूम क्या हुए अल्फ़ाज ने पहन लिए मानी नए नए बूँदें पड़ी थीं… Read More »राज नारायन ‘राज़’ की रचनाएँ

राघवेन्द्र शुक्ल की रचनाएँ

भीड़ चली है भोर उगाने भीड़ चली है भोर उगाने। हांक रहे हैं जुगनू सारे, उल्लू लिखकर देते नारे, शुभ्र दिवस के श्वेत ध्वजों पर… Read More »राघवेन्द्र शुक्ल की रचनाएँ

राघव शुक्ल की रचनाएँ

सरस्वती वंदना स्वर पपीहे का, संगीत दे साम का, सुर भरा कण्ठ कोयल का अनमोल दे। मातु कर दे दया चहचहाने लगूँ, थोड़ी मिसरी मेरे… Read More »राघव शुक्ल की रचनाएँ

राग़िब अख़्तर की रचनाएँ

बहुत दुश्वार है अब आईने से गुफ़्तुगू करना बहुत दुश्वार है अब आईने से गुफ़्तुगू करना सज़ा से कम नहीं है ख़ुद को अपने रू-ब-रू… Read More »राग़िब अख़्तर की रचनाएँ

राग तेलंग की रचनाएँ

मराठी औरतें अभी भी वैसी की वैसी ही तैयार होती हैं मराठी औरतें जैसी हम अपनी माँ को देखा किए अपनी बुआओं-मौसियों के साथ शादियों-उत्सवों… Read More »राग तेलंग की रचनाएँ