मध्यमवर्ग जिनके हिस्से में कम होती हैं खुशियाँ वो मध्यमवर्गीय मार्ग अपनाते हैं कम कम ख़र्चते हैं बचत के प्रयासों…
उसकी तस्वीर उसकी जितनी तस्वीरें हैं उनमें वह स्टूडियो के झूठे दरवाज़े के पास खड़ी है जिसके उस पार रास्ता…
स्त्री – एक एक दाना दो वह अनेक दाने देगी अन्न के । एक बीज दो वह विशाल वृक्ष सिरजेगी…
अभी-अभी अभी-अभी जनमा है रवि पूरे ब्रह्मांड में पसर रही है, शिशु की सुनहरी किलकारी पहाड़ों के सीने में हो…
पितृपक्ष चले गए थे पिता बारह-तेरह बरस का तब बच्चा ही था मैं और थी बीमार माँ और मुझसे भी…
एक बार फिर मुस्कुराओ बुद्ध हे बुद्ध! इस समकालीन परिदृश्य में, जब फट रही है छाती धरती की पसर रही…
पिता रोज सुबह सुबह मेरी चीजें गुम हो जाती है कभी सिरहाने रखा चश्मा तो कभी तुम्हारी दी हुई घड़ी…
दिलक़श है शाम ए रौशन सब कुछ नया नया है दिलक़श है शामेरौशन सब कुछ नया नया है बस सभ्यता…
आज फिर से भूख की और रोटियों की बात हो आज फिर से भूख की और रोटियों की बात हो…
फिर कहाँ संभव रहा अब गीत कोई गुनगुनाऊँ भोर की हर किरन बन कर तीर चुभती है ह्रदय में और…