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Komal Rajeshwari

राकेश कुमार पालीवाल की रचनाएँ

आदिवासी (1) आकाश के तारों की स्तिथि से चलती हैं उनके दिमाग की सुईयां पेड के फलने फूलने से बदलते हैं उनके मौसम, महीने और… Read More »राकेश कुमार पालीवाल की रचनाएँ

रांगेय राघव की रचनाएँ

डायन सरकार डायन है सरकार फिरंगी, चबा रही हैं दाँतों से, छीन-गरीबों के मुँह का है, कौर दुरंगी घातों से । हरियाली में आग लगी… Read More »रांगेय राघव की रचनाएँ

रहीम की रचनाएँ

श्रंगार-सोरठा गई आगि उर लाय, आगि लेन आई जो तिय । लागी नाहिं, बुझाय, भभकि भभकि बरि-बरि उठै ।।1।। तुरुक गुरुक भरिपूर, डूबि डूबि सुरगुरु… Read More »रहीम की रचनाएँ

रसिकबिहारी की रचनाएँ

गहगह साज समाज-जुत, अति सोभा उफनात गहगह साज समाज-जुत, अति सोभा उफनात। चलिबे को मिलि सेज-सुख, मंगल-मुदमय-रात॥ रही पालती पहकि लहै, सेवत कोटि अभंग। करो… Read More »रसिकबिहारी की रचनाएँ

रसिक दास की रचनाएँ

जय जय श्री वल्लभ प्रभु श्री विट्ठलेश साथे जय जय श्री वल्लभ प्रभु श्री विट्ठलेश साथे। निज जन पर कर कॄपा धरत हाथ माथे। दोस… Read More »रसिक दास की रचनाएँ

‘रसा’ चुग़ताई की रचनाएँ

अपनी बे-चेहरगी में पत्थर था  अपनी बे-चेहरगी में पत्थर था आईना बख़्त में समंदर था सर-गुजिश्‍त-ए-हवा में लिखा है आसमाँ रेत का समंदर था किस… Read More »‘रसा’ चुग़ताई की रचनाएँ

रसनिधि की रचनाएँ

दोहा / भाग 1 लखत सरस सिंधुर वदन, भालथली नखतेस। बिघन-हरन मंगल-करन, गौरी-तनय गनेस।।1।। नमो प्रेम-परमारथी, इहि जाचत हों तोहि। नन्दलाल के चरन कौं, दे… Read More »रसनिधि की रचनाएँ

रसखान की रचनाएँ

मानुस हौं तो वही मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद… Read More »रसखान की रचनाएँ

रश्मि शर्मा की रचनाएँ

वो नहीं भूलती अपनी अँगूठी कहीं रखकर भूल गई भूल जाती है अक्सर वो इन दिनों दराज़ की चाबी कहीं कभी गैस पर कड़ाही चढ़ाकर… Read More »रश्मि शर्मा की रचनाएँ