Skip to content

Anware-Islam-kavitakosh.jpg

धरती कितनी बड़ी किताब 

जीवन के आने जाने का,
इस दुनिया के बन जाने का,
इसमें लिक्खा सभी हिसाब-
धरती कितनी बड़ी किताब!

खोल-खोल कर बाँचा इसको,
देखा-परखा, जाँचा इसको,
निकला है अनमोल ख़जाना,
मानव का इतिहास पुराना।

सब अच्छा, कुछ नहीं खराब,
धरती कितनी बड़ी किताब!

खोद-खोद कर गहराई से,
बहुत मिला धरती माई से,
इन चीजों से जाना हमने,
धरती को पहचाना हमने।

थोड़ा तुम भी पढ़ो जनाब,
धरती कितनी बड़ी किताब!

चाँदी-सोना इसके अंदर,
हीरे-पन्ना इसके अंदर,
इसमें बीती हुई कहानी,
इसमें छिपा हुआ है पानी।

इसे पढ़ो बन जाओ नवाब,
धरती कितनी बड़ी किताब!

म्याऊँ म्याऊँ छम

दाल भात रोटी
बिल्ली बडत्री मोटी,
चौके में बैठी
बाँध के लँगोटी।
म्याऊँ-म्याऊँ छम
सब कुछ हज़म!

कुर्सी के पीछे
टेबिल के नीचे,
पंजे से बिल्ली
चुहिया को खींचे
म्याऊँ-म्याऊँ छम
चुहिया हजम!

खा-पी के बिल्ली
पहुँच गई दिल्ली,
भूल गई रस्ता
खूब उड़ी खिल्ली
म्याऊँ-म्याऊँ छम
कुछ नहीं गम!

Leave a Reply

Your email address will not be published.