छू, काली कलकत्ते वाली!
तेरा वचन न जाए खाली।
मैं हूँ जादूगर अलबेला,
असली भानमती का चेला।
सीधा बंगाले से आया,
जहाँ-जहाँ जादू दिखलाया।
सबसे नामवरी है पाई,
उँगली दाँतों-तले दबाई।
जिसने देखा खेल निराला,
जादूगर बंगाले वाला,
जमकर खूब बजाई ताली!
वह ही मंत्र-मुग्ध हो जाता,
पैसा नहीं गाँठ से जाता।
चाहूँ तिल का ताड़ बना दूँ,
रुपयों का अंबार लगा दूँ।
अगर कहो, तो आसमान पर,
तुमको धरती से पहुँचा दूँ।
ऐसे-ऐसे मंतर जानूँ,
दुख-संकट छू-मंतर कर दूँ,
बने कबूतर, बकरी काली।
चिड़िया रानी आओ ना,
अपना गीत सुनाओ ना,
मैं तो खाता हलवा-पूड़ी
तुम भी आकर खाओ ना।
चूहे राजा हैं शैतान
चलते हरदम सीना तान,
इसीलिए तो बिल्ली मौसी
खींचा करती उनके कान!
कलकत्ते से गाड़ी आई,
टाफी-बिस्कुट, केले लाई,
गाड़ी बोली ई-ई-ई
आहा, उसने सीटी दी।
मिस्टर पाल, मिस्टर पाल,
गए खेलने को फुटबाल।
नाटे, मोटे मिस्टर पाल,
उस दिन दिखला गए कमाल।
मारी शाट् उड़ा फुटबाल,
खुद भी गिरे उछलकर पाल।