Skip to content

दिन प्यारे गुड़धानी के

तान तड़ातड़-तान तड़ातड़
पानी पड़ता पड़-पड़-पड़!
तरपट-तरपट टीन बोलते,
सूखे पत्ते खड़-खड़-खड़।

ठुम्मक-ठुम्मक झरना ठुमका,
इठलाती जलधार चली।
खेतों में हरियाली नाची,
फर-फर मस्त बयार चली।

टप्पर-टप्पर, छप्पर-छप्पर,
टपक रहे हैं टप-टप-टप।
त्योहारों का मौसम आया,
हलुआ खाएँ गप-गप-गप।

झिरमिर-झिरमिर मेवा बरसे,
फूल बरसते पानी के।
कागज की नावें ले आईं
दिन प्यारे गुड़धानी के।

गाँव की हाट

देखो लगी गाँव की हाट,
बड़े अनोखे इसके ठाट!

लड्डू, सेब, जलेबी, चक्की
सज धज कर बैठे थालों में
लाल गुलाबी पान बोलते-
हमको भी रख लो गालों में,
मूँछ मरोड़े घूमें जाट!

फरर-फर फर थान फट रहे
नमक-मिर्च के ढेर घट रहे,
कच्च-कच्च तरबूज कट रहे,
दुकानों पर लोग डट रहे,
बड़े मजे से खाते चाट!

गब्बा, सब्बा, रिद्दू, सिद्दू,
पहली बार हाट में आए,
लाए तेल चमेली का फिर-
हलवाई को वचन सुनाए,
चार किलो दो बरफी काट!

खरर-खरर सिल रहे घाघरे
चटपट चढ़ती जाए चूड़ी,
शाम हो गई, गाड़ी जोतो
रख दो अब बैलों पर जूड़ी,
पानी पीना गंगा घाट!
देखो बढ़ी गाँव की हाट!

Leave a Reply

Your email address will not be published.