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प्यार की सीमा रेखा

प्यार की सीमा रेखा
तय करनी होगी

कितनी गहराई तक
डुबोना है ख़ुद को

कहाँ से वापस
आ जाना होगा लौटकर
किनारों पर ।

तुम्हारा आना

तुम्हारा आना, आकर
मेरी ज़िन्दगी के केनवास पर
खिंची आड़ी-तिरछी
लकीरों को जोड़ना
सलीके से,

भरना उनमें रंग
जिससे बनी भी ख़ूबसूरत-सी
तस्वीर, तस्वीर जिसकी
शक्ल बिल्कुल मेरी-सी है

और वो रंग तुम्हारे मैंने
भर लिए हैं, अपनी माँग में ।

अपने ख़्वाबों को सजाकर

अपने ख़्वाबों को सजाकर
दुनिया की हाट में
जिस दिन सीख जाऊँगी
बोली लगवाना

उसी दिन से मिल जाए
शायद मुझे निजात

पर तब कहाँ बचेगा मेरा घर ?
मैं भी कहाँ बच पाऊँगी शायद…।

टूटे हुए सपने से

टूटे हुए सपने से
खुली, आज सुबह
फिर आँख
सपना, आज फिर
चुभता रहा, दिन-भर ।

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