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चंदा मामा दूर के

चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बूर के,
आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में,
प्याली गई टूट, मुन्ना गया रूठ।
प्याली नई मंगाऊंगी, मुन्ना को खिलाऊंगी,
चंदा मामा आएंगे, साथ चांदनी लाएंगे,
मुन्ना पलना में झूलेगा, निंदिया अंखियों में झूमेगी,
साथ-साथ संग मुन्ना के,
बादल के संग-संग घूमेगी।
काठ का घोड़ा आएगा,
मुन्ना लड्डू खाएगा,
चंदा मामा दूर के,
पुए पकाए बूर के।

(इस लोरी की प्रारंभिक कुछ पंक्तियां पारंपरिक हैं। शेष पंक्तियां कवयित्री द्वारा विकसित की गई हैं।)

सांझ ढले पंखा झले

सांझ ढले पंखा झले, मैया तुम्हारी,
हौले से सो जा मेरी राजदुलारी,
रात की रानी ने तेरी सेज संवारी,
चुपके से सो जा मेरी राजदुलारी!
आएंगे चंदा मामा रात उजासे,
लाएंगे तेरे लिए दूध-बतासे,
तारों की नगरी से आई सवारी,
चुपके से सो जा मेरी लाडली प्यारी!
चांदी के पलने में रेशम की डोरी,
फूलों की सेजों पर सोई मेरी किशोरी,
नींद भरी चितवन पर जाऊं बलिहारी,
चुपके से सो जा मेरी राजदुलारी!
घोड़े पर चढ़कर जब आएगा कुंवर,
बिटिया को ब्याह ले जाएगा कुंवर,
देखती रह जाएगी, मैया तुम्हारी,
हौले से सो जा मेरी राजदुलारी!

तुझे चांद कहूं या सूरज

तुझे चांद कहूं या सूरज
तुझे दीप कहूं या तारा,
मेरा नाम करेगा रोशन
जग में मेरा राजदुलारा!
मेरे सपने सजे हैं तुझसे
मेरी आंखों के तारे,
मेरी दुनिया रोशन तुझसे
तुझे ला दूं चांद-सितारे।
तुझे मुन्ना कहूं या राजा
तू बेटा मेरा प्यारा,
मेरा नाम करेगा रोशन,
जग में मेरा राजदुलारा!
अब सो जा मेरे मुन्ना
मैं तुझे सुनाऊं गाना,
थपकी दे लोरी गाऊं
तुझे सपना आए सुहाना।
तुझे लाल कहूं या उजाला
मेरे घर का है उजियारा,
मेरा नाम करेगा रोशन
जग में मेरा राजदुलारा!

चंदन का पलना है

चंदन का पलना है, रोशम की डोरी,
झूला झुलाऊं मैं निंदिया को तोरी।
सो जा रे ललना, तू पलना में सो जा,
अंखियों में झपकी, तू सपनों में खो जा।
भोली-सी चितवन पे बलिहार तोरी,
चंदन का पलना है, रोशम की डोरी।
सपनों में तेरे आएंगे चंदा मामा,
झुनझुने, खिलौने लाएंगे चंदा मामा।
साथ में लाएंगे, तुझे दूध-कटोरी,
पलना झुलाऊं मैं निंदिया को तोरी।
चंदा को देख ज्यूं जीवै चकोरी,
बसे तेरी ममता सांसों में मेरी।
सो जा मेरे ललना, सुनाऊं तुझे लोरी,
झूला झुलाऊं मैं निंदिया को तोरी।

लल्ला-लल्ला लोरी

लल्ला-लल्ला लोरी, दूध भरी कटोरी,
दूध में बताशा, लल्ला करे तमाशा।
लल्ला मेरा राजा है, खूब बजाता बाजा है,
दिन में लल्ला सोता है, रात को लल्ला रोता है।
छोटी-सी बिल्ली आती है, मूंछों में मुसकाती है,
दूध-भात वो खाती है, चुपके से भग जाती है।
रात की रानी आती है, साथ में खुशबू लाती है,
मुन्ना खूब चहकता है, खुशबू से खूब महकता है।
निंदिया रानी आती है, फूलों की घाटी जाती है,
रंग-बिरंगे खुशबू वाले, गुलदस्ते वो लाती है।
मुन्ना खूब हंसता है, नींदों में बातें करता है,
मम्मी, देखो फूलों से, मेरा घर महकता है।
चिड़िया रानी ओ री, दूध बताशा लै री,
मुन्ना मेरा सोया है, सपनों में खोया है।
लल्ला-लल्ला लोरी, दूध भरी कटोरी,
दूध में बताशा, लल्ला करे तमाशा।

(इस लोरी की प्रारंभिक पंक्तियां पारंपरिक हैं। शेष पंक्तियां कवयित्री द्वारा विकसित की गई हैं।)

धीरे से आ जा री

धीरे से आ जा री, अंखियन में निंदिया,
आ जा री आ जा, धीरे से आ जा…!
जागा है मेरा राजकुंवर, तू आके सुला जा,
पंखा झले प्यारी मैया, तू आके पलना झुला जा।
पलकों पे आके, तू हौले से अइयो,
सोते कुंवर को तू यूं न जगइयो।
कच्ची नींद न उठइयो री निंदिया,
आ जा री आ जा, धीरे से आ जा…!
छोटे-से मुख से ली है जमुहाई,
आंखें उनींदी हैं, नींद झुक आई।
हौले-हौले दियो झोटा, लाला जग जाएगा,
रात अभी बाकी है, शोर मचाएगा।
भूख से रोएगा मेरा राजा,
निंदिया धीरे से आ जा।
धीरे से आ जा री, अंखियन में निंदिया,
आ जा री आ जा, धीरे से आ जा…!

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