Skip to content

श्रीकृष्णचंद्र तिवारी ‘राष्ट्रबंधु’ की रचनाएँ

कंतक थैया

कंतक थैया घुनूँ मनइयाँ!
चंदा भागा पइयाँ पइयाँ!
यह चंदा चरवाहा है,
नीले-नीले खेत में!
बिल्कुल सैंत मैंत में,
रत्नों भरे खेत में!
किधर भागता, लइयाँ पइयाँ!
कंतक थैया, घुनूँ मनइयाँ!
अंधकार है घेरता,
टेढ़ी आँखें हेरता!
चाँद नहीं मुँह फेरता,
रॉकेट को है टेरता!
मुन्नू को लूँगा मैं दइयाँ!
कंतक थैया घुनूँ मनइयाँ!
मिट्टी के महलों के राजा,
ताली तेरी बढ़िया बाजा!
छोटा-छोटा छोकरा,
सिर पर रखे टोकरा!
बने डोकरा करूँ बलइयाँ!
कंतक थैया, घुनूँ मनइयाँ!

दादी के दाँत

असली दाँत गिर गए कब के
नकली हैं मजबूत,
इनके बल पर मुस्काती है
क्या अच्छी करतूत।
बड़े बड़ों को आड़े लेती
सब छूते हैं पैर,
नाकों चने चबाने पड़ते
जो कि चाहते खैर।
उनका मुँह अब नहीं पोपला
सही सलामत आँत,
कभी नहीं खट्टे हो सकते
दादी जी के दाँत।

टिली लिली

मैं ढपोर हूँ शंख बिना,
ताक धिना-धिन, ताक धिना।

मुझे अचानक परी मिली,
आसमान में जुही खिली।
टिली लिली जी टिली लिली
मैं जाऊँगा पंख बिना
ताक धिना धिन, ताक धिना!

अगड़म-बगड़म बंबे बो,
अस्सी, नब्बे, पूरे सौ।
गेहूँ बोया, काटा जौ,
उगा पेड़ कब बीज बिना
ताक धिना-धिन, ताक धिना!
बछड़ा भागा, भागी गौ,
जल्दी जागो फटती पौ!
हो-हो, हो-हो, हो, हो, हो,
चलूँ अकेला संग बिना
ताक धिना-धिन ताक धिना!

-साभार: नंदन, जुलाई, 1997, 18

नई डायरी

नई डायरी मुझे मिली है!
इसमें अपना नाम लिखूँगा
जो करने वो काम लिखूँगा,
किसने मारा किसने डाँटा
बदनामों के नाम गिनूँगा।
खुशियों की इक कली खिली है,
नई डायरी मुझे मिली है!
कार्टून हैं मुझे बनाने
हस्ताक्षर करने मनमाने,
आप अगर रुपए देंगे तो
सेठ बनेंगे जाने-माने।
भेंट दीजिए, कलम हिली है,
नई डायरी मुझे मिली है!
तेंदुलकर के छक्के पक्के
कैच कुंबले के कब कच्चे,
किया सड़क पर पूरा कब्जा
बचके चलो बोलते बच्चे।
लाई लप्पा टिली लिीली है!

-साभार: नंदन, अक्तूबर, 1999, 34

Leave a Reply

Your email address will not be published.