Skip to content

.

रसूल हमजातोव 

1.
कविता आग है
इस आग में अंगारों के ऊपर
मशाल की लौ है
लौ से बढ़कर उसकी रोशनी
बाहरी अन्धकार को भगाने वाली
भीतर की आग है कविता ।

2.
उकाब उड़ता हो
कितने भी ऊँचे आकाश में
आँखें उसकी देखती हैं
भूख-प्यास बुझाने वाली धरती को
कल्पना के खटोले में
उड़ान भरती
कविता उपजती है
यथार्थ की भूमि पर ।

3.
घोड़े की तरह है कविता
कवि को एकदम पीठ पर नहीं बिठाती
वह कहती है
पहले तुम मेरे साथ चलो पैदल
बन्द कमरे से बाहर खुले में
फिर, ठाठ से सवार हो जाना
मंज़िल तक पहुँचा सकने वाले
किसी भी ख़तरनाक रास्ते पर ।

4.
अनुभव कहीं के भी क्यूँ न हो
कविता लिखना अपनी ज़ुबान में
पूरा अभिव्यक्त करती है भावों को
माँ के गर्भ में सीखी भाषा
कवि की मौलिकता
होती है कविता की जान ।

5.
बुरी चीज़ नहीं है शराब
अगर,
उससे होती है कविता की आँखें लाल
सावधानी इतनी की
तंगे न खाए जाए
रक्तिम होते हैं
असरदार कविता के तेवर

6.
रसूल,
तुम्हारे ख़ुदा ने सृष्टि रची
सिगरेट के कश के बाद
बात सिगरेट व उसके कश की नहीं
दरअसल उस आग की है
जो नुकसानदेह तम्बाकू को
उड़ा देती है धुआँ बना कर
और
उस दम की
जो कश से ज़्यादा तुम्हारी कविता में है

Leave a Reply

Your email address will not be published.