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इस मौसम का सबसे

इस मौसम का सबसे ठंडा दिन है आज,

रात कटेगी कैसे चिन्ता यही लगी है,

अगिहानों में आग नहीं, घाम भगी है

दहशत खाकर, आसमान पर बादल राज,

कुहरे ने कर लिया नियंत्रण ऊर्जा के हर

संस्थान पर, ख़ून नसों में जमता जाता,

इस बस्ती में दूर-दूर तक कोई आता

नज़र नहीं है, जिसके पास आग हो अमर,

उजाला करती तिमिरशीत से मुक्ति दिलाती,

ढेर राख में ढूंढ रहे सब चिंगारी मिल

जाए, गीली लकड़ियाँ भी सुलगेंगी, स्वप्निल

आँखों में चमकेगी आस-किरण, जलाती

अगिहानों को, सर्द लहर से करती जंग

दूर खड़े ठंडक व्यापारी ताकें दंग !

कंठ रुमाल घुटन्ना

कंठ रुमाल घुटन्ना लुंगी कमर बंध गोफन

का कस कर, मीलों दूर छोड़ घर अपना

इस अनजान शहर में आया लेकर सपना

उदर-पूर्ति का, नए वस्त्र पहनेगा, मोदन

मन का होगा, ग़ज़ब हो गया इस बस्ती में

लम्बी-लम्बी लगी कतारें कैरोसिन की

दुकानों पर, मारी जाती आधे दिन की

मज़दूरी, मतलब नहीं किसी से, मस्ती में

अपनी ही रहते लोग यहाँ के, नाम नहीं

कोई भी लेता, हम से सब मामा जान

करते हैं व्यवहार ढोर-सा, हम अज्ञान

भाव में जीते, चालाकी से काम नहीं

ले पाते बिल्कुल, इस से अच्छा अपना घर

था, सपने मिले ख़ाक में सब इधर आकर !

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