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अब किसी शैतान से डरना नहीं है

यह कविता अधूरी है, अगर आपके पास हो तो कृपया इसे पूरा करें

जग उठा है देवता का बल हमारा
अब किसी शैतान से डरना नहीं है

वे हमीं हैं शून्य रेखा में सदा नवरंग भरते
जन्म लेते तारकों को एक हम ही सूर्य करते
हम नहीं इतिहास का हर वाक्य कहता है कहानी
हम जहाँ रखते कदम वहाँ गाथा लिखती है जवानी

सत्य की पतवार अपने हाथ में
जब फिर किसी तूफान से डरना नहीं है
जग उठा है देवता का बल हमारा
अब किसी शैतान से डरना नहीं है

इतना प्यार न देना मुझको

इतना प्यार न देना मुझको दुःख के बोल न मैं सुन पाऊँ

यों मेरे जीवन उपवन में
श्वास तुम्हारी ही बहती है
मेरे गीतों के गुंजन में
गूँज तुम्हारी ही रहती है
इतनी मधुर बहार न देना झरते फूल न मैं चुन पाऊँ

यों मेरी अन्तर साधों को
एक तुम्हारा ही संबल है
प्राण तुम्हारी नयन ज्योति से
मेरा जीवन पथ उज्ज्वल है
इतना अधिक प्रकाश न देना तुम में पन्थ न मैं लख पाऊँ

यों नयनों में स्वप्न तुम्हारी
जीवन आभा का दर्पण है
युग-युग के संचित आँसू से
खोया प्यार तुम्हें अर्पण है
लेकिन इतने साथ न रहना तुम बिन पाँव न मैं रख पाऊँ

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