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वनवासी राम

मात-पिता की आज्ञा का तो केवल एक बहाना था
मातृभूमि की रक्षा करने प्रभु को वन में जाना था

पिता आपके राजा दशरथ माँ कौशल्या रानी थी
कैकई और मंथरा की भी अपनी अलग कहानी थी
भरत शत्रुध्न रहे बिलखते लखन ने दी कुरबानी थी
नई कथा लिखने की प्रभु ने अपने मन में ठानी थी
सिंहासन है गौण प्रभु ने हमको पाठ पढाना था

अवधपुरी थी सुनी सुनी टूटी जन जन की आशा
वन में हम भी साथ चलेगें ये थी सब की अभिलाषा
अवधपुरी के सब लोगो ने प्रभु से नाता जोड लिया
चुपके से प्रभु वन को निकले मोह प्रजा का छोड दिया
अपने अवतारी जीवन का उनको धर्म निभाना था

सिंहासन पर चरण पादुका नव इतिहास रचाया था
सन्यासी का वेश भरत ने महलों बीच बनाया था
अग्रज और अनुज का रिश्ता कितना पावन होता है
राम प्रेम में भरत देखिये रात रात भर रोता है
भाई भाई सम्बन्धों का हमको मर्म बताना था

किसने गंगा तट पर जाकर केवट का सम्मान किया
औ” निषाद को किसने अपनी मैत्री का वरदान दिया
गिद्धराज को प्रेम प्यार से किसने गले लगया था
भिलनी के बेरों को किसने भक्तिभाव से खाया था
वनवासी और दलित जनों पर अपना प्यार लुटाना था

नारी मर्यादा क्या होती प्रभु ने हमें बताया था
गौतम पत्नी को समाज में सम्मानित करवाया था
सुर्पंखा ने स्त्री जाती को अपमानित करवाया जब
नाक कान लक्ष्मण ने काटे उसको सबक सिखाया तब
नारी महिमा को भारत में प्रभु ने पुनः बढ़ाना था

अगर प्यार करना है तुमको राम सिया सा प्यार करो
वनवासी हो गई पिया संग सीता सा व्यवहार करो
जंगल जंगल राम पूछते सीता को किसने देखा
अश्रुधार नयनों से झरती विधि का ये कैसा लेखा
राम सिया का जीवन समझो प्यार भरा नजराना था

स्वर्णिम मृग ने पंचवटी में सीता जी को ललचाया
भ्रमित हुई सीता की बुद्धि लक्ष्मण को भी धमकाया
मर्यादा की रेखा का जब सीता ने अपमान किया
हरण किया रावण ने सिय का लंका को प्रस्थान किया
माया के भ्रम कभी ना पडना हमको ध्यान कराना था

बलशाली वानर जाति तो पर्वत पर ही रह जाती
बाली के अत्याचारों को शायद चुप ही सह जाती
प्रभु ने मित्र बनाये वानर जंगल पर्वत जोड दिये
जाति और भाषा के बन्धन पल भर में ही तोड दिये
जन-जन भारत का जुड जाये प्रभु ने मन मे ठाना था

मैत्री की महिमा का प्रभु ने हमको पाठ पढाया था
सुग्रीव-राम की मैत्री ने बाली को सबक सिखाया था
शरणागत विभीषण को भी प्रभु ने मित्र बनाया था
लंका का सिंहासन देकर मैत्री धर्म निभाया था
मित्र धर्म की पावनता का हमको ज्ञान कराना था

भक्त बिना भगवान की महिमा रहती सदा अधूरी है
हनुमान बिना ये कथा राम की हो सकती क्या पूरी है
सिया खोज कर लंक जलाई जिसने सागर पार किया
राम भक्ति में जिसने अपना सारा जीवन वार दिया
भक्ति मे शक्ति है कितनी दुनिया को दिखलाना था

अलग-अलग था उत्तर-दक्षिण बीच खडी थी दीवारें
जाति वर्ग के नाम पे हरदम चलती रहती तलवारें
अवधपुरी से जाकर प्रभु ने दक्षिण सेतुबन्ध किया
उत्तर-दक्षिण से जुड जाये प्रभु ने ये प्रबन्ध किया
सारा भारत एक रहेगा जग को ये बतलाना था

राक्षस राज हुआ धरती पर ऋषि-मुनि सब घबराते थे
दानव उनके शीश काटकर मन ही मन हर्षाते थे
हवन यज्ञ ना पूर्ण होते गुरूकुल बन्द हुये सारे
धनुष उठाकर श्री राम ने चुन चुन कर राक्षस मारे
देव शक्तियों को भारत में फिर सम्मान दिलाना था

गिलहरी, वानर, भालू और गीध भील को अपनाया
शक्ति बडी है संगठना में मंत्र सभी को समझाया
अगर सभी हम एक रहे तो देश बने गौरवशाली
दानव भय से थर्रायेगें रोज रहेगी दीवाली
संघ शक्ति के दिव्य मंत्र को जन-जन तक पहुंचाना था

मर्यादा पुरुषोतम प्रभु ने सागर को समझाया था
धर्म काज है सेतुबन्ध ये उसको ये बतलाया था
अहंकार में ऐंठा सागर सम्मुख भी ना आया था
क्रोध से प्रभु ने धनुष उठाया सागर फिर घबराया था
भय बिन होये प्रीत ना जगत में ये संदेश गुंजाना था

रावण के अत्याचारों से सारा जगत थर्राता था
ऋषि मुनियों का रक्त बहाकर पापी खुशी मनाता था
शिव शंकर के वरदानों का रावण ने उपहास किया
शीश काटकर प्रभु ने अरि का सबको नव विश्वास दिया
रावण के अत्याचारों से जग को मुक्त कराना था

लंका का सुख वैभव जिनको तनिक नही मन से भाया
अपनी प्यारी अवधपुरी का प्यार जिन्हें खींचे लाया
मातृभूमि और प्रजा जनों की जो आवाज समझते थे
प्रजा हेतु निज पत्नी के भी नही त्याग से डरते थे
मातृभूमि को स्वर्ग धाम से जिसने बढकर माना था

बाल्मिकी रत्नाकर होते रामायण ना कह पाते
तुलसी पत्नी भक्ति में ही जीवन यापन कर जाते
रामानन्द ना सागर होते राम कथा ना दिखलाते
कलियुग में त्रेता झांकी के दर्शन कभी ना हो पाते
कवियों की वाणी को प्रभु ने धरती पर गुंजाना था

जन-जन मन में ”चेतन” है जो राम कथा है कल्याणी
साधु सन्त सदियों से गाते राम कथा पावन वाणी
पुरखों ने उस राम राज्य का हमको पाठ पढाया था
राम राज्य के आदर्शों को हम सबने अपनाया था
भरत भूमि

तिरंगा

ये तिरंगा ये तिरंगा ये हमारी शान है
विश्व भर में भारती की ये अमिट पहचान है

ये तिरंगा हाथ में ले पग निरन्तर ही बढ़े
ये तिरंगा हाथ में ले दुश्मनों से हम लड़े
ये तिरंगा दिल की धड़कन ये हमारी जान है

ये तिरंगा विश्व का सबसे बडा जनतन्त्र है
ये तिरंगा वीरता का गूँजता इक मन्त्र है
ये तिरंगा वन्दना है भारती का मान है

ये तिरंगा विश्व जन को सत्य का संदेश है
ये तिरंगा कह रहा है अमर भारत देश है
ये तिरंगा इस धरा पर शांति का संधान है

इसके रेशों में बुना बलिदानियों का नाम है
ये बनारस की सुबह है, ये अवध की शाम है
ये तिरंगा ही हमारे भाग्य का भगवान है

ये कभी मंदिर कभी ये गुरूओं का द्वारा लग
चर्च का गुम्बद कभी मस्जिद का मिनारा लगे
ये तिरंगा धर्म की हर राह का सम्मान है

ये तिरंगा बाईबल है भागवत का श्लोक है
ये तिरंगा आयत-ए-कुरआन का आलोक है
ये तिरंगा वेद की पावन ॠचा का ज्ञान है

ये तिरंगा स्वर्ग से सुंदर धरा कश्मीर है
ये तिरंगा झूमता कन्याकुमारी नीर है
ये तिरंगा माँ के होठों की मधुर मुस्कान है

ये तिरंगा देव नदियों का त्रिवेणी रूप है
ये तिरंगा सूर्य की पहली किरण की धूप है
ये तिरंगा भव्य हिमगिरि का अमर वरदान है

शीत की ठण्डी हवा, ये ग्रीष्म का अंगार है
सावनी मौसम में मेघों का छलकता प्यार है
झंझावातों में लहरता ये गुणों की खान है

ये तिरंगा लता की इक कुहुकती आवाज है
ये रवि शंकर के हाथों में थिरकता साज है
टैगोर के जनगीत जन गण मन का ये गुणगान है

ये तिंरगा गांधी जी की शांति वाली खोज है
ये तिरंगा नेता जी के दिल से निकला ओज है
ये विवेकानंद जी का जगजयी अभियान है

रंग होली के हैं इसमें ईद जैसा प्यार है
चमक क्रिशमिस की लिये यह दीप सा त्यौहार है
ये तिरंगा कह रहा- ये संस्कृति महान है

ये तिरंगा अन्देमानी काला पानी जेल है
ये तिरंगा शांति औ’ क्रांति का अनुपम मेल है
वीर सावरकर का ये इक साधना संगान है

ये तिरंगा शहीदों का जलियांवाला बाग है
ये तिरंगा क्रांति वाली पुण्य पावन आग है
क्रांतिकारी चन्द्रशेखर का ये स्वाभिमान है

कृष्ण की ये नीति जैसा राम का वनवास है
आद्य शंकर के जतन सा बुद्ध का सन्यास है
महावीर स्वरूप ध्वज ये अहिंसा का गान है

रंग केसरिया बताता वीरता ही कर्म है
श्वेत रंग यह कह रहा हें, शांति ही धर्म है
हरे रंग के स्नेह से ये मिट्टी ही धनवान है

ऋषि दयानंद के ये सत्य का प्रकाश है
महाकवि तुलसी के पूज्य राम का विश्वास है
ये तिरंगा वीर अर्जुन और ये हनुमान है

के राजाओं को उनका धर्म बताना था

हस्ताक्षर

हस्ताक्षर तक हम करते हैं
एक विदेशी भाषा में
माना हम आज़ाद हो गए
लेकिन किस परिभाषा में?

जन्म-दिवस पर केक काट कर
गाते हम अँग्रेज़ी में
शादी-ब्याह तलक की चिट्ठी
छपवाते अँग्रेज़ी में

घोड़ी डोली के स्वागत को
बैण्ड बजा अँग्रेज़ी में
टाई कस कर हर बाराती
ख़ूब सजा अँग्रेज़ी में

सड़को पर हम नाच रहे हैं,
जाने किस प्रत्याशा में?
माना हम आज़ाद हो गए
लेकिन किस परिभाषा में?

खेलों के विवरण सुनते हैं
दिनभर हम अँग्रेज़ी में
देश हुआ क़ुर्बान किक्रेट पर
कितना दम अँग्रेज़ी में

टेलीविजन की फुडहता को
पाते हम अँग्रेज़ी में
दूरदेश के चैनल हमको
ललचाते अँग्रेज़ी में

स्वाभिमान कैसे जागेगा,
ऐसी घोर निराशा में?
माना हम आज़ाद हो गए
लेकिन किस परिभाषा में?

संविधान-निर्माताओं का
संविधान अँग्रेज़ी में
देश की संसद मे होते सब
समाधान अँग्रेज़ी में

न्यायालय के निर्णय सारे
होते हैं अँग्रेज़ी में
प्रैस सभा में नेता अपने
रोते हैं अँग्रेज़ी में

बच्चों पर अँग्रेज़ी लादी
हमने किस अभिलाषा में?
माना हम आज़ाद हो गए
लेकिन किस परिभाषा में?

रक्षाबन्धन

बहन ने भाई को पुकारा
आ गया
रक्षाबन्धन का त्यौहार दोबारा
फिर वहीं औपचारिकतायें
रेशम का धागा,टीका मिठाई
तुमने भी जेब मे हाथ डाला
रस्म निभाई
हो गया, रक्षाबन्धन
भैया!
ये साधारण से दीखने वाले
रेशम के धागे
धागे नही
रक्षा के बन्धन हैं
और तुम्हारे माथे पर
चमकने वाली ये रोली
रोली नही
भारत की माटी का
पावन चन्दन हैं
बहन की रक्षा का
पावन संकल्प उठाया है तुमने
तुमको बधाई
पर तुम्हारी बहन
तुमको इतनी कमजोर नजर आई?
माना सीता सावित्री हमारी पहचान हैं
पर अपनी रक्षा करने को हम
रानी झांसी के समान हैं
भैया!
बहन की रक्षा की चिंता छोड, और
अपनी दृष्टि देश की सीमाओ की ओर मोड
जहाँ आस्तीन मे साँप है
पडोसी का अटट्हास है
दुश्मन की ललकार है, और
इतिहास की फटकार है
ब्रहम देश का बिछुडना
पाकिस्तान का कटना
आजाद कश्मीर
मानसरोवर कैलाश की पीर
तीन बीघा का दान
और घर में बैठे
आतंकी शैतान
इसलिये जब तक
देश की सीमाओं पर संकट है भारी
तुम्हारी बहन के भाग्य में
तब तक है लाचारी
क्योंकि, हो सकता हैं
इतिहास अपने को फिर दोहराये
और फिर कोई रावण
सीता को उठाने आये
और फिर हो
धर्म नाम पे, तुम्हारी बहनो पर
अत्याचार
इसलिये समय रहते जागो
आओ, मैं तुम्हारी कलाई पर
रेशम के मुलायम धागे बाँधू
और तुम उन कलाईयो से
देश की सीमाओं पर
रक्षा के संकल्प सूत्र बाँधो।

वसन्त

सर्दियों की कँपकँपी का अन्त है
दर पे दस्तक दे रहा वसन्त है

फूल केसर का हवा में झूमता
पीत वस्त्रों से सजा ज्यों सन्त है

काम कोई कैसे बिगड़े इस घड़ी
दे रहा आशीष जब इकदंत है

देखिए कुदरत की रंगत देखिए
गंध कैसी छाई दिगदिगन्त है

प्यार का खुला निमंत्रण है तुम्हें
प्रेम की भाषा सखी अनन्त है

राम बनाम रोम

मेरे एक मित्र हैं पदमेश
रहते हैं विदेश
करते हैं कविताई
एक दिन चिटठी आई
लन्दन आओ, कविता सुनाओ
हमने सोचा, किस्मत ने भी कैसा मंत्र है मारा
इसलिए भारत में प्रतिष्ठा पाने को
हमने तुरन्त ये आमंत्रण स्वीकारा
क्योंकी भारत में जब तक विदेश ना जाओ
कोई जानता ही नही
होगें आप महाकवि
पर कोई मानता ही नही
राम-रामा
कृष्ण-कृष्णा
योग-योगा और
आयुर्वेद आयुर्वेदा बनकर
जब भारत में प्रतिष्ठा पा सकते हैं तो
चेतन भी चेतना बनकर
भारत मे नई क्रांति ला सकते है
अत: विमान में हुये सवार
एक अंग्रेज हो गया हमारा यार
बैठते ही की बमबारी
लंदन कितना सुन्दर है, प्यारा है
हम अंग्रेजों ने मेहनत से संवारा है
मैनै कहा, हाँ भाई हाँ
बिल्डिगंस का तो जबाब नही
पर घर एक भी आबाद नही
माँ कहीं
बाप कहीं
औलाद तुम्हारे पास नही
और रही बात बीबी की, तो
वह एक कलैण्डर है
जो हर साल बदलना है
इसलिए इन भवनो का तुम्हें क्या करना है
भारत में बिल्डिंग नही घर होते हैं
जो घर की खुशी में हँसतें हैं
घर की गमी में रोते हैं
उसमें होता हैं मां का प्यार
बाप की फटकार
पत्नी की मुस्कान
बच्चों की शान
मेहमान का आना जाना
हमारे यहां घर एक घर होता हैं
नही होता कोई पब या मयखाना
माना की तुम्हारे यहां, फादर डे-मदर डे
बडी शान से मनाते हैं
जिन्दा मां बाप पर साल में एक दिन
फूल चढाते हैं
पर हम तो घर में
हर दिन फादर डे
हर दिन मदर डे ही पाते हैं
और रही बात फूल चढाने की, तो
वह कार्यक्रम भी संसार से उनके जाने के बाद
साल में केवल एक दिन नही
श्राद्ध पक्ष में, पूरे पन्द्रह दिन चलता हैं
और पूरा परिवार उनको याद करता हैं
तभी अंग्रेज बोला
वाट अबावट वेलनटाईन डे!
बाय फ्रेंड, गर्ल फ्रेंड रोमान्स
प्यार का तुम्हारे यहां नही कोई चान्स
मैने कहा कितना गलत है आपका आरोप
प्यार के मामले में क्या कर लेगा यूरोप
तुम्हारे यहाँ प्यार का गीत
केवल एक दिन गाते हैं
हम तो फाल्गुन का पूरा महीना
वेलनटाईन मनाते है
मेरी बात सुनकर
अँग्रेज झल्लाया, तिलमिलाया, चिल्लाया
यू ब्लैक इंडियन!
मैनै कहा,चेहरे से हम काले हैं
पर दिल में हमारे उजाले हैं
और रही तुम्हारे चेहरे की लाली
तो वह भी तुम्हारी नही
पराई हैं
तुमने दुनिया के लोगो से चुराई हैं
दुनिया का रक्त बहाकर
तुम्हारा चेहरा हो गया लाल
अब काहे को ठोक रहे हो ताल
लूटा है हमारा ही माल
गौरे चेहरे पर ज्यादा मत इतराओं
पहले आदमी बन कर दिखाओं
भारत की शरण में आओ
जीओ और जीने दो का सिध्दान्त अपनाओ
और, दुनियों को महकाओ
मैने अँग्रेज मित्र से कहा
दुनिया मे है केवल दो विचार
एक रोम ओर एक राम
मानवता की रक्षा करना चाहते हो तो
रोम को छोड राम को स्वीकार।

 

स्वतन्त्र

अंग्रेजों के पराधीन थे
अपनों के अधीन हैं
यानि हम
स्वतंत्र नहीं
स्वाधीन हैं

स्वतंत्र,
यानि अपना तंत्र
या कह सकते हैं
गांधी का रामराज
अंग्रेज़ी खाना
अंग्रेज़ी पीना
अंग्रेज़ी भाषा
अंग्रेज़ी विचार
अंग्रेज़ी मानसिकता
कैसे कहें कि आ गई स्वतंत्रता

अंग्रेज़ी को छोड़
जिस दिन गूंजेगा
हिन्दुस्तानी मंत्र
उस दिन हम होंगे
‘स्वतंत्र’!

बेटी (कुछ दोहे )

माँ देवी का रुप है माँ ही है भगवान
माँ मुझको मत मारना, मैं तेरी पहचान

चाकू चलता देखकर, बेटी करे पुकार
क्या मुझको माता नही, जीने का अधिकार

अस्पताल को छोड़कर, चल आंगन घर द्वार
बाबुल हमको चाहिये, बस थोड़ा सा प्यार

डाक्टर ने जैसे दिया, इंजेक्शन विषपान
बेटी रोई जोर से, तू कैसा भगवान

क्या जग ने देखा नही, इंदिरा जी का काम
बेटी भी अब बाप का, करती उंचा नाम

ईश्वर से हमको मिले, चाहे जो सन्तान
बेटा बेटी आजकल, होते एक समान

सासु जी बेकार में, हमसे हैं नाराज
बेटी कैसे मार दूँ , क्या मैं हूँ यमराज

हिन्दी

जैसे अँग्रेज़ी ही सब कुछ
इसके बिना नही कुछ जैसे
रूस, चीन, जापान, जर्मनी
फिर सबसे आगे हैं कैसे ?

छोटे-छोटे देश गर्व से
अपनी भाषा बोल रहे हैं
एक अभागे हम हैं ऐसे
हिन्दी को कम तोल रहे हैं

सौ करोड़ की इस भाषा का
दुनिया कब सम्मान करेगी
कब भारत की गली-गली से
अँग्रेज़ी प्रस्थान करेगी

हम अँग्रेज़ी को तज देंगे
आओ यह सकल्प उठाएँ
हिन्द निवासी, हिन्दी वालो
आओ हिन्दी को अपनाएँ

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