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रचनाएँ

शाकिर खलीक की रचनाएँ

कब शौक़ मिरा जज़्बे से बाहर न हुआ था कब शौक़ मिरा जज़्बे से बाहर न हुआ था था कौन सा क़तरा जो समुंदर न… Read More »शाकिर खलीक की रचनाएँ

शहरयार की रचनाएँ

ख़्वाब का दर बंद है  मेरे लिए रात ने आज फ़राहम किया एक नया मर्हला । नींदों ने ख़ाली किया अश्कों से फ़िर भर दिया… Read More »शहरयार की रचनाएँ

शहबाज़ ख्वाज़ा की रचनाएँ

इक ऐसा वक्त भी सहरा में आने वाला है इक ऐसा वक्त भी सहरा में आने वाला है कि रास्ता यहाँ दरिया बनाने वाला है… Read More »शहबाज़ ख्वाज़ा की रचनाएँ

शहनाज़ नूर की रचनाएँ

हम-सफ़र ज़ीस्त का सूरज को बनाए रक्खा हम-सफ़र ज़ीस्त का सूरज को बनाए रक्खा अपने साए से ही क़द अपना बढ़ाए रक्खा शोला-ए-याद को लिपटाए… Read More »शहनाज़ नूर की रचनाएँ

शहनाज़ इमरानी की रचनाएँ

एक ऊब  घर, इत्मीनान, नींद और ख़्वाब सबके हिस्से में नहीं आते जैसे खाने की अच्छी चीज़ें सब को नसीब नहीं होतीं जीवन के अर्थ… Read More »शहनाज़ इमरानी की रचनाएँ

शशिकान्त गीते की रचनाएँ

गूलर के फूल कथित रामप्यारे ने देखे सपने में गूलर के फूल। स्वर्ण महल में पाया ख़ुद को रेशम के वस्त्रों में लकदक रत्नजड़ित झूले… Read More »शशिकान्त गीते की रचनाएँ

शरद रंजन शरद की रचनाएँ

इसी पृथ्वी पर इसी पृथ्वी पर इतने सारे जीव आदमी पशु-पक्षी कीट-पतंग जीवन के ढेर सारे रंग पृथ्वी पर ही पहाड़ पानी आग उसकी मिट्टी… Read More »शरद रंजन शरद की रचनाएँ

शरद बिलौरे की रचनाएँ

हम आज़ाद हैं… सतरंगे पोस्टर चिपका दिए हैं हमने दुनिया के बाज़ार में कि हम आज़ाद हैं । हम चीख़ रहे हैं चौराहों पर हम… Read More »शरद बिलौरे की रचनाएँ

शरद कोकास की रचनाएँ

अनकही वह कहता था वह सुनती थी जारी था एक खेल कहने सुनने का खेल में थी दो पर्चियाँ एक में लिखा था ‘कहो’ एक… Read More »शरद कोकास की रचनाएँ