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हरी चंद अख़्तर

हरी चंद अख़्तर की रचनाएँ

जिस ज़मीं पर तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा होता है जिस ज़मीं पर तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा होता है एक इक ज़र्रा वहाँ क़िबला नुमा होता है काश वो दिल… Read More »हरी चंद अख़्तर की रचनाएँ