जयंत परमार की रचनाएँ
ग़ालिब जब भी तुझको पढ़ता हूँ लफ़्ज़-लफ़्ज़ से गोया आसमाँ खिला देखूँ एक-एक मिसरे में कायनात का साया फैलता हुआ देखूँ! ग़ालिब की मज़ार… Read More »जयंत परमार की रचनाएँ
ग़ालिब जब भी तुझको पढ़ता हूँ लफ़्ज़-लफ़्ज़ से गोया आसमाँ खिला देखूँ एक-एक मिसरे में कायनात का साया फैलता हुआ देखूँ! ग़ालिब की मज़ार… Read More »जयंत परमार की रचनाएँ