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फ़हमीदा रियाज़

फ़हमीदा रियाज़ की रचनाएँ

नया भारत तुम बिल्कुल हम जैसे निकले अब तक कहाँ छिपे थे भाई वो मूरखता, वो घामड़पन जिसमें हमने सदी गँवाई आखिर पहुँची द्वार तुम्हारे… Read More »फ़हमीदा रियाज़ की रचनाएँ