अरुणा राय की रचनाएँ
दुनिया को बोलती-बतियाती / अरुणा राय दुनिया को बोलती-बतियाती, घूमती-फिरती, हंसती-ठहहाती, बूझती-समझती, चलती-उडती, सजती-सवरती, गुनती-बुनती, नकारती-फुफकारती औरतें चुभती हैं! मौन भी अपना मौन भी अपना… Read More »अरुणा राय की रचनाएँ
दुनिया को बोलती-बतियाती / अरुणा राय दुनिया को बोलती-बतियाती, घूमती-फिरती, हंसती-ठहहाती, बूझती-समझती, चलती-उडती, सजती-सवरती, गुनती-बुनती, नकारती-फुफकारती औरतें चुभती हैं! मौन भी अपना मौन भी अपना… Read More »अरुणा राय की रचनाएँ