आशीष जोग की रचनाएँ
व्यक्तिगत हम अनुभूति-सम्राट, अभिव्यक्ति-शून्य, सांध्य-प्रहरी | दिग्भ्रमित, गंतव्य-हीन, चिर प्रतीक्षित नयन, करते अरण्य-रोदन वन-केसरी | हम अनुभूति-सम्राट, अभिव्यक्ति-शून्य, सांध्य-प्रहरी | प्रति निशा, बोझिल नयन, बूढी… Read More »आशीष जोग की रचनाएँ