चन्द्रभान ख़याल की रचनाएँ
क़तरा क़तरा एहसास फैल कर फिर शब-ए-तारीक हुई बहर-ए-सियाह क़तरा क़तरा लब-ए-तन्हाई से टपके एहसास और पल्कों की सलीबों पे वो गुज़रे हुए दिन जैसे… Read More »चन्द्रभान ख़याल की रचनाएँ
क़तरा क़तरा एहसास फैल कर फिर शब-ए-तारीक हुई बहर-ए-सियाह क़तरा क़तरा लब-ए-तन्हाई से टपके एहसास और पल्कों की सलीबों पे वो गुज़रे हुए दिन जैसे… Read More »चन्द्रभान ख़याल की रचनाएँ