ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क की रचनाएँ
आईने के आख़िरी इज़हार में आईने के आख़िरी इज़हार में मैं भी हूँ शाम-ए-अबद-आसार में देखते ही देखते गुम हो गई रौशनी बढ़ती हुई रफ़्तार… Read More »ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क की रचनाएँ
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