आरजूएँ जाग उठीं बे-ताब है बज़्म-ए-ख़याल आरजूएँ जाग उठीं बे-ताब है बज़्म-ए-ख़याल क्या कहूँ मैं क्या दिगर-गूँ हो गया है…