रामेश्वरप्रसाद गुरु ‘कुमारहृदय’ की रचनाएँ
गुलाब काँटों में है खिला गुलाब! आसपास पैनी नोकें हैं छेद रही हैं उसका तन, किंतु पंखुड़ियों पर हँसता है कोमल लाल गुलाबी मन। उपवन… Read More »रामेश्वरप्रसाद गुरु ‘कुमारहृदय’ की रचनाएँ
गुलाब काँटों में है खिला गुलाब! आसपास पैनी नोकें हैं छेद रही हैं उसका तन, किंतु पंखुड़ियों पर हँसता है कोमल लाल गुलाबी मन। उपवन… Read More »रामेश्वरप्रसाद गुरु ‘कुमारहृदय’ की रचनाएँ