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लाखन सिंह भदौरिया
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Poetry
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लाखन सिंह भदौरिया
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लाखन सिंह भदौरिया की रचनाएँ
मुक्तक धूप जैसे गन्ध में, आकर नहाये। रूप जैसे छन्द में, आकर नहाये। नाद लय में याद यों डूबी हुई-…
3 months ago