अज्ञात हिन्दू महिला की रचनाएँ
स्तुति इस दुनिया में दो दिन गुजारा है अब; नहीं यहाँ किसी का इजारा है अब। तेरे तक अक़्ल को रसाई नहीं; इसी जापै इंसान… Read More »अज्ञात हिन्दू महिला की रचनाएँ
स्तुति इस दुनिया में दो दिन गुजारा है अब; नहीं यहाँ किसी का इजारा है अब। तेरे तक अक़्ल को रसाई नहीं; इसी जापै इंसान… Read More »अज्ञात हिन्दू महिला की रचनाएँ