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अंजना संधीर की रचनाएँ

प्रयत्न सर झुकाने की बारी आये ऐसा मैं कभी नहीं करूँगा पर्वत की तरह अचल रहूँ व नदी के बहाव सा निर्मल शृंगारित शब्द नहीं… Read More »अंजना संधीर की रचनाएँ

अंजना वर्मा की रचनाएँ

चाय पीती वह गरीब औरत  हल्की बूँदा-बाँदी में भी लपेट ली है उसने शाल काली, मैली शाल देह पर डाले झुर्रियों वाले मुँह से झरती… Read More »अंजना वर्मा की रचनाएँ

अंजना भट्ट की रचनाएँ

धरती और आसमान मैं? मैं हूँ एक प्यारी सी धरती कभी परिपूर्णता से तृप्त और कभी प्यासी आकाँक्षाओं में तपती. और तुम? तुम हो एक… Read More »अंजना भट्ट की रचनाएँ

अंजना बख्शी की रचनाएँ

गुलाबी रंगों वाली वो देह मेरे भीतर कई कमरे हैं हर कमरे में अलग-अलग सामान कहीं कुछ टूटा-फूटा तो कहीं सब कुछ नया! एकदम मुक्तिबोध… Read More »अंजना बख्शी की रचनाएँ

अंजना टंडन की रचनाएँ

पिता अंतिम यात्रा पर निकले पिता आँगन में कितनी जगह रह जाते हैं, खाट के निचे चप्पल और छड़ी में बैठक के रेडियो और जेब… Read More »अंजना टंडन की रचनाएँ

अंचित की रचनाएं

प्रेमिल रोजनामचों की इंदराजी तुम्हारा मुझसे प्रेम करना है ज़मीन का अपने जंगलों से प्रेम करना और गिलहरी का अपने पेड़ से। जिस बारिश से… Read More »अंचित की रचनाएं

अंकिता जैन की रचनाएं

मैं अछूती माहवारी के तीन दिन बहते रक्त से उपजी छटपटाहट चटपटा खाने की लालसा, बढ़ी हुई भूख, चिड़चिड़ापन बढ़ाते हार्मोन्स, मरूढ़ते पेट, छिली हुई… Read More »अंकिता जैन की रचनाएं

अंकिता कुलश्रेष्ठ की रचनाएं

मेरे श्याम हाथ माखन होंठ मुरली, से सजाया आपने नंद नंदन श्याम जग को है रिझाया आपने॥ ऐ मदन गोपाल सुनिए, मैं अकिंचन दीन हूँ… Read More »अंकिता कुलश्रेष्ठ की रचनाएं

Ankit-kavyansh-

अंकित काव्यांश की रचनाएं

ओ मन्दिर के शंख, घण्टियों / अंकित काव्यांश ओ मन्दिर के शंख, घण्टियों तुम तो बहुत पास रहते हो, सच बतलाना क्या पत्थर का ही… Read More »अंकित काव्यांश की रचनाएं