इरफ़ान सत्तार की रचनाएँ
ब-ज़ोम-ए-अक़्ल ये कैसा गुनाह मैं ने किया ब-ज़ोम-ए-अक़्ल ये कैसा गुनाह मैं ने किया इक आईना था उसी को सियाह मैं ने किया ये शहर-ए-कम-नज़राँ… Read More »इरफ़ान सत्तार की रचनाएँ
ब-ज़ोम-ए-अक़्ल ये कैसा गुनाह मैं ने किया ब-ज़ोम-ए-अक़्ल ये कैसा गुनाह मैं ने किया इक आईना था उसी को सियाह मैं ने किया ये शहर-ए-कम-नज़राँ… Read More »इरफ़ान सत्तार की रचनाएँ