गदाधर भट्ट की रचनाएँ
सखी, हौं स्याम रंग रँगी सखी, हौं स्याम रंग रँगी। देखि बिकाइ गई वह मूरति, सूरति माहि पगी॥१॥ संग हुतो अपनो सपनो सो, सोइ रही… Read More »गदाधर भट्ट की रचनाएँ
सखी, हौं स्याम रंग रँगी सखी, हौं स्याम रंग रँगी। देखि बिकाइ गई वह मूरति, सूरति माहि पगी॥१॥ संग हुतो अपनो सपनो सो, सोइ रही… Read More »गदाधर भट्ट की रचनाएँ