ज़क़ी तारिक़ की रचनाएँ
बे-मकाँ मेरे ख़्वाब होने लगे बे-मकाँ मेरे ख़्वाब होने लगे रत-जगे भी अज़ाब होने लगे हुस्न की महफ़िलों का वज़्न बढ़ा जब से हम बार-याब… Read More »ज़क़ी तारिक़ की रचनाएँ
बे-मकाँ मेरे ख़्वाब होने लगे बे-मकाँ मेरे ख़्वाब होने लगे रत-जगे भी अज़ाब होने लगे हुस्न की महफ़िलों का वज़्न बढ़ा जब से हम बार-याब… Read More »ज़क़ी तारिक़ की रचनाएँ