ज़ाकिर अली ‘रजनीश’की रचनाएँ
चुपके से बतलाना बापू तुम्हें कहूँ मैं बाबा, या फिर बोलूँ नाना? सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।। छड़ी हाथ में लेकरके… Read More »ज़ाकिर अली ‘रजनीश’की रचनाएँ
चुपके से बतलाना बापू तुम्हें कहूँ मैं बाबा, या फिर बोलूँ नाना? सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।। छड़ी हाथ में लेकरके… Read More »ज़ाकिर अली ‘रजनीश’की रचनाएँ