जीवन शुक्ल की रचनाएँ
आषाढ़ तो आया आषाढ़ तो आया घास नहीं हो उठी झरबेरी हरी हरी। हथेलियाँ पसार दीं शूलों पर वार दीं टुकड़े हो टूट पड़ा आसमान… Read More »जीवन शुक्ल की रचनाएँ
आषाढ़ तो आया आषाढ़ तो आया घास नहीं हो उठी झरबेरी हरी हरी। हथेलियाँ पसार दीं शूलों पर वार दीं टुकड़े हो टूट पड़ा आसमान… Read More »जीवन शुक्ल की रचनाएँ