फ़ज़ल ताबिश की रचनाएँ
हर इक दरवाज़ा मुझ पर बंद होता हर इक दरवाज़ा मुझ पर बंद होता अँधेरा जिस्म में नाख़ून होता ये सूरज क्यूँ भटकता फिर… Read More »फ़ज़ल ताबिश की रचनाएँ
हर इक दरवाज़ा मुझ पर बंद होता हर इक दरवाज़ा मुझ पर बंद होता अँधेरा जिस्म में नाख़ून होता ये सूरज क्यूँ भटकता फिर… Read More »फ़ज़ल ताबिश की रचनाएँ