बैरीसाल की रचनाएँ
दोहे ऐसे ही इन कमल कुल, जीत लियो निज रंग। कहा करन चाहत चरन, लहि अब जावक संग॥ लसत लाल डोरेऽरु सित, चखन पूतरी स्याम।… Read More »बैरीसाल की रचनाएँ
दोहे ऐसे ही इन कमल कुल, जीत लियो निज रंग। कहा करन चाहत चरन, लहि अब जावक संग॥ लसत लाल डोरेऽरु सित, चखन पूतरी स्याम।… Read More »बैरीसाल की रचनाएँ