राजबुन्देली की रचनाएँ
नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है उम्मीदॊं नॆ दर्पण दॆखा,सपनॊं का मंदिर टूटा पाया ! जॊ बैठा सिंहासन पर, जनता कॊ बस लूटा खाया !! करुणा-कृंदित कितनी, पारी… Read More »राजबुन्देली की रचनाएँ
नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है उम्मीदॊं नॆ दर्पण दॆखा,सपनॊं का मंदिर टूटा पाया ! जॊ बैठा सिंहासन पर, जनता कॊ बस लूटा खाया !! करुणा-कृंदित कितनी, पारी… Read More »राजबुन्देली की रचनाएँ