राजेन्द्र कुमार की रचनाएँ
आईना-द्रोह (लम्बी कविता) राजनीति जब कर्म नहीं, कर्मकांड हो तो क्यों न उसके ‘तांत्रिक’ भी हों! भूमंडलीकृत कर्मकांड के ये ‘जन-तांत्रिक’ हैं, जो अपने-अपने अनुष्ठानों… Read More »राजेन्द्र कुमार की रचनाएँ
आईना-द्रोह (लम्बी कविता) राजनीति जब कर्म नहीं, कर्मकांड हो तो क्यों न उसके ‘तांत्रिक’ भी हों! भूमंडलीकृत कर्मकांड के ये ‘जन-तांत्रिक’ हैं, जो अपने-अपने अनुष्ठानों… Read More »राजेन्द्र कुमार की रचनाएँ