लक्ष्मीनाथ परमहंस की रचनाएँ
नाथ हो कोटिन दोष हमारो नाथ हो कोटिन दोष हमारो । कहाँ छिपाऊँ, छिपत ना तुमसे, रवि ससि नैन तिहारौ ।। टेक ।। जल, थल,… Read More »लक्ष्मीनाथ परमहंस की रचनाएँ
नाथ हो कोटिन दोष हमारो नाथ हो कोटिन दोष हमारो । कहाँ छिपाऊँ, छिपत ना तुमसे, रवि ससि नैन तिहारौ ।। टेक ।। जल, थल,… Read More »लक्ष्मीनाथ परमहंस की रचनाएँ