विनोद तिवारी की रचनाएँ
टूटती है सदी की ख़ामोशी टूटती है सदी की ख़ामोशी फिर कोई इंक़लाब आएगा मालियो! तुम लहू से सींचो तो बाग़ पर फिर शबाब आएगा… Read More »विनोद तिवारी की रचनाएँ
टूटती है सदी की ख़ामोशी टूटती है सदी की ख़ामोशी फिर कोई इंक़लाब आएगा मालियो! तुम लहू से सींचो तो बाग़ पर फिर शबाब आएगा… Read More »विनोद तिवारी की रचनाएँ