शिवदेव शर्मा ‘पथिक’ की रचनाएँ
वाणी-वन्दना प्यासे प्राणों की धरती पर तू तरस-बरस हे स्नेहमयी, हे किरणमयी, अनुरागमयी! स्वर जगा कुहा की इस पथराई बेला में, हे स्वर्णमयी, हे दयामयी!… Read More »शिवदेव शर्मा ‘पथिक’ की रचनाएँ
वाणी-वन्दना प्यासे प्राणों की धरती पर तू तरस-बरस हे स्नेहमयी, हे किरणमयी, अनुरागमयी! स्वर जगा कुहा की इस पथराई बेला में, हे स्वर्णमयी, हे दयामयी!… Read More »शिवदेव शर्मा ‘पथिक’ की रचनाएँ