शिशु पाल सिंह ‘शिशु’की रचनाएँ
शिशु दोहावली (१) जीव अनेकों में रमे, यद्यपि हो तुम एक, नाथ! तुम्हे कितने कहे, एक कहें कि अनेक (२) रे जग- पथ के पथिक!… Read More »शिशु पाल सिंह ‘शिशु’की रचनाएँ
शिशु दोहावली (१) जीव अनेकों में रमे, यद्यपि हो तुम एक, नाथ! तुम्हे कितने कहे, एक कहें कि अनेक (२) रे जग- पथ के पथिक!… Read More »शिशु पाल सिंह ‘शिशु’की रचनाएँ