सलाम मछलीशहरी की रचनाएँ
रद्द-ए-अमल इक हक़ीक़त इक तख़य्युल नक़रई सी एक कश्ती दो मुनव्व क़ुमकमे इन पे मग़रूर थी इस ज़मीं की हूर थी किस क़दर मसरूर थी… Read More »सलाम मछलीशहरी की रचनाएँ
रद्द-ए-अमल इक हक़ीक़त इक तख़य्युल नक़रई सी एक कश्ती दो मुनव्व क़ुमकमे इन पे मग़रूर थी इस ज़मीं की हूर थी किस क़दर मसरूर थी… Read More »सलाम मछलीशहरी की रचनाएँ