हरिकृष्ण देवसरे की रचनाएँ
कविवर तोंदूराम कविवर तोंदूराम बुझक्कड़ कभी-कभी आ जाते हैं। खड़ी निरंतर रहती चोटी, आँखें धँसी मिचमिची छोटी, नाक चायदानी की टोटी, अंग-अंग की छटा निराली,… Read More »हरिकृष्ण देवसरे की रचनाएँ
कविवर तोंदूराम कविवर तोंदूराम बुझक्कड़ कभी-कभी आ जाते हैं। खड़ी निरंतर रहती चोटी, आँखें धँसी मिचमिची छोटी, नाक चायदानी की टोटी, अंग-अंग की छटा निराली,… Read More »हरिकृष्ण देवसरे की रचनाएँ