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Hindi

अपर्णा अनेकवर्णा की रचनाएँ

प्रेत-ग्राम वो डूबता दिन.. कैसा लाल होता था.. ठीक मेरी बाईं ओर.. दूर उस गाँव के पीठ पीछे जा छुपता था सूरज.. तनिक सा झाँक… Read More »अपर्णा अनेकवर्णा की रचनाएँ

अनूप सेठी की रचनाएँ

जोगी  1. मैंने हाथ से कहा मिला लो हाथ आँख से कहा देख लो धरती आसमान कान से कहा सुन लो सारे सुर-ताल रोम-रोम से… Read More »अनूप सेठी की रचनाएँ

अनूप भार्गव की रचनाएँ

जाने सूरज जलता क्यों है  जाने सूरज जलता क्यों है इतनी आग उगलता क्यों है रात हुई तो छुप जाता है अंधियारे से डरता क्यों… Read More »अनूप भार्गव की रचनाएँ

अनूप अशेष की रचनाएँ

आवाजों के खो जाने का दुख कितना आस-पास की आवाज़ों के खो जाने का दुख कितना। खालीपन कितना-कितना? बाँस-वनों के साँय-साँय सन्नाटों-सा सब डूबा-डूबा, खुद… Read More »अनूप अशेष की रचनाएँ

अनुलता राज नायर की रचनाएँ

सिंदूर  किसी ढलती शाम को सूरज की एक किरण खींच कर मांग में रख देने भर से पुरुष पा जाता है स्त्री पर सम्पूर्ण अधिकार|… Read More »अनुलता राज नायर की रचनाएँ

अनुराधा सिंह की रचनाएँ

क्या सोचती होगी धरती  मैंने कबूतरों से सब कुछ छीन लिया उनका जंगल उनके पेड़ उनके घोंसले उनके वंशज यह आसमान जहाँ खड़ी होकर आँजती… Read More »अनुराधा सिंह की रचनाएँ

अनुराग वत्स की रचनाएँ

निगाह की पहनाई क्या सिर्फ़ तुम्हें आती है  तो तुम सिगरेट इसलिए पीते रहे? हाँ, बिलकुल । हद है !, तब पूरे पागल थे क्या? फ़र्क… Read More »अनुराग वत्स की रचनाएँ

अनुराग अन्वेषी की रचनाएँ

बहुत दिनों बाद बहुत दिनों बाद उठा है कोई शोर कि आदमी भूल जाना चाहता है अपनी वर्जनाओं को जीतना चाहता है नियति की लड़ाई… Read More »अनुराग अन्वेषी की रचनाएँ

अनुभूति गुप्ता की रचनाएँ

कतरा भर धूप मेरे हिस्से की कतरा भर धूप वो भी मित्र छीन ले गया आत्मीय सहयात्री हितैषी मेरा था जो पहले धूर्त अकुलीन हो… Read More »अनुभूति गुप्ता की रचनाएँ

अनुप्रिया की रचनाएँ

पहचान जब होती हूँ पंख उड़ जाते हो थामकर मुझे नीले विस्तार में जब होती हूँ ख़्वाब भर लेते हो अपनी आँखों में जब होती… Read More »अनुप्रिया की रचनाएँ